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सावन के महीने में शिव की पूजा के पीछे छुपा हुआ है बहुत ही गूढ़ और रोचक रहस्य !!

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शास्त्रों और पुराणों में कहा गया है कि सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। यही कारण है कि शिवभक्तों में सावन को लेकर काफी उत्साह देखने को मिलता है। इस महीने में कांवड़ चढ़ाने वालों की संख्या भी काफी बढ़ जाती है। और ये सब यूं ही नहीं है। इसके पीछे बहुत रोचक और गूढ़ रहस्य छुपा हुआ है। दरअसल आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए सो जाते हैं। इसके बाद रूद्र जो भगवान शिव के ही अंश हैं वह सृष्टि के कार्यभार को संभालते हैं। यानी इस समय सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता त्रिदेवों के सारे कार्यो के उत्तरदायित्व को रूद्र ही संभालते हैं। इसलिए सावन में शिव की पूजा से ही त्रिदेवों की पूजा का फल एक साथ मिल जाता है। शिव के रूद्र रूप को उग्र माना जाता है लेकिन प्रसन्न होने पर ये तीनों लोकों के सुखों को भक्तों के लिए सुलभ कर देते हैं। इन्हें प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है अभिषेक, चाहे आप दूध से करें, दही से करें या मधु से करें। यही वजह है कि सावन में रुद्राभिषेक भी खूब किए जाते हैं।   सावन में शिव की पूजा होने की दूसरी महत्वपूर्ण वजह शिव-पार्वती के प्रे

हरियाली तीज : जानिये इस पर्व को मनाने के पीछे कौन सी हिन्दू पारम्परिक कथा है।

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सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक हरियाली तीज   मनाया जाता है। इस बार यह उत्सव 26 जुलाई यानि बुधवार को मनाया जाएगा। इस उत्सव को श्रावणी तीज और कजरी तीज भी कहते है। हरियाली तीज पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती है। आइए जानते हैं कि इस त्योहार का पौराणिक महत्व और कैसे मनाया जाता है यह पर्व। कथा के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए वर्षों तक भगवान शिव की तपस्या की थीं। इसके लिए माता पार्वती को 108 बार जन्म लेना पड़ा था। तब जाकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार किया था। तभी से इस व्रत को मनाया जाता है। हरियाली तीज पर सुहागन महिलाएं व्रत रखकर और सोलह श्रृंगार कर अपने पति की लंबी आयु के लिए माता पार्वती और भगवान शिवकी पूजा-अर्चना करती हैं। इस पर्व पर महिलाएं में मेंहदी, सुहाग का प्रतीक सिंघारे और झूला झूलने का विशेष महत्व होता है। गांव और कस्बों में जगह-जगह झूले लगाए जाते है और महिलाएं एक साथ कजरी गीत गाती हैं। हरियाली तीज पर नव विवाहित महिला को उनके स

क्या आपने कभी सोचा है ........ महिलायें अपने पेट में बात क्यों नहीं पचा पाती ?

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सुन आशा मैं तुझे एक बात बताने जा रही हूँ पर प्लीज तू किसी से कहना नहीं  ....... आशा ने निम्मी के कानों  में धीरे से कुछ फुसफुसाया  ........ फिर निम्मी से भी नहीं रहा गया तो सरिता को वो ही बात बता दी ये वादा लेते हुए कि  वो आगे किसी को कुछ न बताएं  .... लेकिन सरिता ने गीता को  ...... गीता ने बबीता को  और फिर धीरे - धीरे ये बात सभी को पता चल गई। आखिर ऐसा क्या है कि महिलायें  अपने पेट में बात नहीं पचा पाती ? आइये हम आपको आज इस रहस्य से जुड़ी कुछ रोचक, वैज्ञानिक और दिलचस्प बातें बताते है। कृपया इस लेख को अंत तक पढियेगा।  सबसे पहला और अहम स्वाभाव उनका बातूनी होना।   वैसे तो महिलाओं  के पेट में बातें न पचने के बहुत से कारण है मगर एक अहम कारण उनका स्वाभाव से बातूनी होना है। जहाँ एक वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार पुरुष एक दिन में केवल 7000 शब्द ही बोलते है वहीँ दूसरी ओर महिलाएं दिन में पुरुषों के मुकाबले तिगुना यानि कि 20000 से 25000 शब्दों का इस्तेमाल करती हैं। सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना।   महिलाओं में एक आदत सभी का ध्यान किसी भी तरह अपनी ओर आकर्षित करने की भी होती है। ज

शहद में दीर्घायु रखने एवं स्वस्थ बनाए रखने की अद्भुत शक्ति...

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शहद में दीर्घायु रखने एवं स्वस्थ बनाए रखने की वैसे ही अद्भुत शक्ति है जैसे जड़ी बूटियों में शहद मधुमक्खियों के द्वारा अनेक वृक्षों के पुष्पों का रस लाकर इकट्ठा किया जाता है 1) थकान होने पर शहद के सेवन से राज्य आती है    2) काली खांसी होने पर शहद के साथ बदाम लेने से आराम मिलता है    3) बवासीर में एक चुटकी त्रिफला शहद में मिलाकर आराम                                                                                          मिलता है    4) बच्चों को 9 महीने शहद देने से किसी प्रकार का रोग नहीं होता शहद कीड़े एवं पायरिया से दांतो को बचाता है और बच्चों     को दांत निकलने की पीड़ा भी नहीं होती    5) शरीर के किसी भाग के जलने पर शुद्ध शहद लगाने से जलन कम होती है और आराम मिलता है    6) आधे सिर दर्द में एक छोटे प्याले में गुनगुना पानी करके उसमें दो चम्मच शहद डालकर पीना चाहिए    7) शहद के नियमित सेवन से कब्ज की शिकायत नहीं होती    8) गर्म पानी में शहद मिलाकर दिन में तीन बार लेने से जुखाम ठीक होता है    9) अदरक का रस और शहद मिलाकर बराबर लेने से खांसी और कफ दू