हरियाली तीज : जानिये इस पर्व को मनाने के पीछे कौन सी हिन्दू पारम्परिक कथा है।
कथा के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए वर्षों तक भगवान शिव की तपस्या की थीं। इसके लिए माता पार्वती को 108 बार जन्म लेना पड़ा था। तब जाकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार किया था। तभी से इस व्रत को मनाया जाता है।
हरियाली तीज पर सुहागन महिलाएं व्रत रखकर और सोलह श्रृंगार कर अपने पति की लंबी आयु के लिए माता पार्वती और भगवान शिवकी पूजा-अर्चना करती हैं।
इस पर्व पर महिलाएं में मेंहदी, सुहाग का प्रतीक सिंघारे और झूला झूलने का विशेष महत्व होता है। गांव और कस्बों में जगह-जगह झूले लगाए जाते है और महिलाएं एक साथ कजरी गीत गाती हैं।
हरियाली तीज पर नव विवाहित महिला को उनके ससुराल से मायके बुलाने की परंपरा है। साथ ही ससुराल से भेंट स्वरुप कपड़े,गहने सुहाग का सामान और मिठाई साथ में दी जाती है।
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